“व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सफलता या असफलता का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण कारक या निर्धारक हमारी आत्म-जागरूकता (सेल्फ़-अवेयरनेस) का स्तर है, जिस पर अभी तक कम से कम ध्यान दिया गया है ”
गोपीकृष्ण बाली
आत्म-जागरूकता के लिए स्वयं से पूछे जाने वाला पहला प्रश्न
हम उतने आत्म-जागरूक नहीं हैं जितना हम सोचते और महसूस करते हैं। इस कड़वे सच को जानने और समझने के लिए यह समय सही है; हम सभी किसी न किसी या पूर्ण काल्पनिक सोच या आत्म-भ्रम के साथ जीवन जीते हैं।
यह जानने के बाद कि आत्म-जागरूकता स्वयं के बारे में पूर्ण तथा व्यापक ज्ञान है, तो सामान्य ज्ञान का सुझाव है कि आइए अपने स्वयं के प्रत्येक पहलू को जानना और समझना शुरू करें।
हाँ! व्यापक ज्ञान का अर्थ है एक जागृत व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान (स्वरूप) के हर पहलू को जानना। इसमें आपका संपूर्ण व्यक्तित्व, मूल्य, चरित्र की ताकत, कमजोरियां, विचार प्रक्रिया, भावनात्मक पैटर्न, जुनून और आपके मानस के लगभग सभी अच्छे और बुरे हिस्से भी शामिल हैं।
इस प्रक्रिया के पीछे की समझ है आपके अपने व्यक्तित्व के बारे में पूरी तरह और सचेत रूप से जागरूक होना – वह अद्वितीय व्यक्तित्व (स्वरूप) जिसके आप मालिक हैं और जिसका आप प्रतिनिधित्व करते हैं।
जिस क्षण हम सजग हो कर, सचेत रूप से अपने सच्चे स्व: (स्वरूप) के बारे में जागरूक होते हैं, समग्र रूप से, तब यहअनुभव (आत्मा-अवलोकन) आपको आपके काल्पनिक स्वरूप (जो आप सोचते है) और वास्तविक स्वरूप (जो आप वास्तव में क्या हैं), के बीच का अंतर दिखा सकता है | यह आत्म-जागरूकता आप की काल्पनिक सोच द्वारा बनाया गया छदम रूप और आप के गैर-उपयोगी पैटर्न को तोड़ सकता है या आपके मन में अनावश्यक रूप से रखे गए झूठे विश्वासों को सदा के लिए पीछे छोड़ सकता है।
क्या आप स्व-मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार हैं ??
स्व-मूल्यांकन (सेल्फ़ इवैल्यूएशन) सरल चरण-दर-चरण स्व: अवलोकन करने की एक विश्लेषणात्मक प्रक्रिया है जिसका स्पष्ट उद्देश्य आपके व्यक्तित्व, ताकत, कमजोरियों के सभी पहलुओं को जानना, पहचानना और समझना और अप्रयुक्त कौशल और क्षमताओं को विकसित करना है।
एक उचित निष्पक्ष मूल्यांकन हमें उन क्षेत्रों को, उन पहलुओं को पहचानने में मदद करेगा जिन को हमें अपने प्रचुर बिंदु (आबन्डन्स पॉइन्ट ABUNDANC POINT) से जोड़ने और हमारी खुशी बढ़ाने के लिए संरेखण (एलाइनमेंट), सुधार या विकास करने की आवश्यकता है।
बड़ा सवाल यह है कि कहां से शुरू करें और आगे कैसे बढ़ें?
पहला कदम पहले: प्रश्न पर ही प्रश्न करें – सवाल करें।
बस खुद से पूछकर जांच प्रक्रिया शुरू करें: क्या मैं खुद को पूरी तरह से जानता हूँ , पहचानता हूँ ?
क्या मैं वास्तव में जानता हूँ कि मैं कौन हूँ?….
उत्तरों का विश्लेषण या आत्म-अन्वेषण के लिए समय निकालें। गहरा सोचें – गहरा खोदो। प्रश्न – उत्तर स्वयं ही पूछें…। जब तक आप परिणामों से दृढ़ता और आंतरिक रूप से संतुष्ट न हों – बार-बार प्रश्न पूछते रहें।
नोट: अपने उत्तर नोटपैड में लिखें या एक अलग जर्नल (Journal) बनाएं। इससे आपको उन्हें बार-बार अवलोकन करने में, फिर से देखने में मदद मिलेगी, यह सत्यापित करने के लिए कि उत्तर अभी भी सही हैं या इन में कोई बदलाव है …
अपने आप को बेहतर तरीके से जानने और पहचानने के लिए, पहला कदम उठाने के लिए बधाई। यह आपकी आत्म-जागरूकता प्रक्रिया की शुरुआत है।
आप इस अनुभव भरी, प्रचुर बिंदु (ABUNDANC POINT) की तरफ बढ़ती जीवन यात्रा का आनंद लें !! 🙂