दुनियाँ की सब से बड़ी शक्ति है हमारे माता – पिता का, बड़ों का, गुरुजनों का, साधु सन्यासियों का और तपस्वी जनों का आशीर्वाद। आज की कहानी का उद्देश्य और समझ यही है कि कैसे हम अपनी शब्दों के पीछे की शक्ति को समझें और उसे कई गुना बढ़ा कर अपने जीवन को आनन्दित बनायें। आप भी प्रयास | अभ्यास और विश्वास द्वारा अपने शब्दों के साथ अपनी भावना को जोड़ कर अपने मंशा को सब के भले के लिए उपयोग कर सकते है। ~ गोपी कृष्ण बाली
हार कर जीतना सीखें
बेहतर होगा कि आप अपना सारा ध्यान केवल उन लोगों पर, उन विचारों पर या वस्तुओं पर केंद्रित करें जो आनंद को बढ़ाने में, स्थिर करने में सहायता करती हैं जो आप के लिए, आप के जीवन-लक्ष्य के लिए मायने रखते हैं, और अपना ध्यान उन सब से विकेंद्रित करें – हटा दे या उन विचारों / चीजों को त्याग दें जिनका कम या कोई महत्व नहीं है आपके जीवन – लक्ष्य को पूरा करने के लिए।
हमारे निर्णयों का शृंखलाबद्ध प्रभाव
प्राथमिकता निर्धारण करते हुए हमें फिर चुनाव करना होता है कि पहले क्या करें, और बाद में क्या करना है और हमारे इसी छोटे-छोटे चुनावों पर हमारी जिन्दगी का रुख तय होता है, हमारे विचारों को दिशा मिलती है, और अंततः हमारे जीवन को नया आयाम मिलता है।
सही लक्ष्यों का चुनाव
जब हम अपने छोटे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपना समस्त ध्यान और चेतना को केंद्रित करेंगे तो हम अपने पैटर्न्स (patterns) को सजग हो कर देखेंगे और पुरानी अनुपयोगी आदतों को छोड़ कर नई उपयोगी आदतों का निर्माण करेंगे जो हमें आगे आने वाले समय में हमारे जीवन-लक्ष्य और पृथ्वी-लक्ष्य को पाने के लिए सहायक होंगी।
नववर्ष संकल्प २०२२
आप सब कभी अपने लिए भी समय निकालें और अपनी पुरानी संकल्प-सूची (रेसोलुशन लिस्ट Resolution List) को निकाल कर देखें। कितने लक्ष्य लिखे थे पिछले वर्ष, कितने काम पुरे हुए और कितने अधूरे रह गए। अब भी समय है सजग हो कर या तो फिर से एक नई लम्बी सी लिस्ट बनाये जो दूसरों को दिखा कर या खुद बार -बार पढ़ कर खुश होते रहें या स्व:अवलोकन कर अपने आप को अपने हृदय से जोड़ें और एक नए आत्म-विश्वास के साथ केवल उन लक्ष्यों को अपने संकल्प -सूची में लिखें जो हमारे जीवन-लक्ष्य के साथ एकसार हो सकते है – तारतम्य बना कर, उन के साथ समायोजित हो सकते है।
समृद्धि संकल्प
अब जब जीवन को कार्यक्षेत्र में, अपने निजी जीवन में , रिश्तों में जा के अनुभव किया कि पतंग उड़ाने के सभी छोटी – छोटी सीख असली जीवन में भी बहुत सटीक उतरती है। आप को क्या लगता है ? सच्ची बात है कि नहीं?
मन को साधना
मन को साधना | मन को नमन कर अमन से जीवन जीने की साधना करिये, आनन्दित साधक बनिए और अपनी आनन्द यात्रा को शुरू करिये।
मन के साधक बने
मन को नमन या अमन कैसे करें ?
त्रिगुणी कैसे बने?
त्रिगुणी कैसे बने? जीवन लक्ष्य – प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव
भाव का अभाव
आनन्दित जीवन के लिए अपने सच्चे भाव को अपने सकारात्मक विचारों के साथ जोड़ें और जुड़ें इस आनन्दित अभिव्यक्ति की अनुभव आनन्द यात्रा में। ~गोपीकृष्ण बाली