बेहतर होगा कि आप अपना सारा ध्यान केवल उन लोगों पर, उन विचारों पर या वस्तुओं पर केंद्रित करें जो आनंद को बढ़ाने में, स्थिर करने में सहायता करती हैं जो आप के लिए, आप के जीवन-लक्ष्य के लिए मायने रखते हैं, और अपना ध्यान उन सब से विकेंद्रित करें – हटा दे या उन विचारों / चीजों को त्याग दें जिनका कम या कोई महत्व नहीं है आपके जीवन – लक्ष्य को पूरा करने के लिए।
आनंद
त्रिगुणी कैसे बने?
त्रिगुणी कैसे बने? जीवन लक्ष्य – प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव
भाव का अभाव
आनन्दित जीवन के लिए अपने सच्चे भाव को अपने सकारात्मक विचारों के साथ जोड़ें और जुड़ें इस आनन्दित अभिव्यक्ति की अनुभव आनन्द यात्रा में। ~गोपीकृष्ण बाली
प्रयास | अभ्यास | विश्वास
हमारे जीवन में कोई भी घटना, अच्छी या कठिन, घटती है तो उस के पीछे जरूर एक सन्देश, एक सीख छुपी होती है। अपनी सोच और धायण को सिर्फ केंद्रित करना है उस नई सीख पर, नए अनुभव द्वारा अपने विकास पर, और कैसे हम उस नई जानकारी को अपने जीवन-लक्ष्य के लिए प्रयोग, उपयोग कर सकते है।
प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव किया जा सकता है। अपने जीवन लक्ष्य को जाने, पहचाने और उसे प्राप्त करने के लिए अपने क्षमताओं का विकास करें।
आरम्भ
भाव और मंशा सिर्फ एक कि हम सब अपने इस अद्भुत जीवन को एक नए सकारात्मक दृष्टिकोण से, एक नए अंदाज से, इस की अतुलित आनन्दित, असीमित क्षमताओं के साथ भरपूर जियें। ~ गोपीकृष्ण बाली
आत्म जागरूकता (Self-Awareness)
आत्म-जागरूकता (Self-Awareness) आपके विचारों, भावनाओं, कार्यों और स्वयं पर इसके प्रभाव और दूसरों पर भी इसके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव को नोटिस करने की आपकी क्षमता और प्रतिभा है। निर्देशित आत्मनिरीक्षण के बाद निरंतर सेल्फ़-रिफ्लेक्शन (Self-Reflection) के माध्यम से उद्देश्य अवलोकन प्राप्त (introspection) किया जाता है।
परम आनन्द
पूर्ण आनंद | परम सुख; यानि पूर्ण संतोष और पूर्ण सुख की स्थिति में पहुँचाना, बाकी सब से बेखबर हमारी अतुलित आनंदित अवस्था
~ गोपी कृष्ण बाली ~