मन को नमन या अमन कैसे करें ?
त्रिगुणी कैसे बने?
त्रिगुणी कैसे बने? जीवन लक्ष्य – प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव
भाव का अभाव
आनन्दित जीवन के लिए अपने सच्चे भाव को अपने सकारात्मक विचारों के साथ जोड़ें और जुड़ें इस आनन्दित अभिव्यक्ति की अनुभव आनन्द यात्रा में। ~गोपीकृष्ण बाली
बदला या बदलाव
आप की सोच क्या कहती है? बदला या बदलाव? सब हमारी मानसिकता पर निर्भर करता है। यहीं पर हमें अपने विचारों को जान कर, अपने मन को पहचान कर, अगर गलत दिशा में जा रहा है तो सजगता से – सतर्कता से अपनी सोच को और विचारों की दिशा को बदलना होगा। दिशा बदली तो दशा जरूर बदलेगी। दशा बदली तो कर्म बदलें जायेंगे और बदलते कर्मों से हमारे व्यवहार को बदलना होगा – कार्यशैली में बदलाव होगा।
जीवन लक्ष्य
जीवन लक्ष्य – प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव
आनन्द अनुभव श्रृंखला हमारे जीवन में प्रकट हुए अनुभवों को, उन परिस्तिथियों को, उन व्यक्तियों को, जिन की वज़ह से हमारे जीवन में बदलाव आया – और हम बदले, उस का सार है। यह उस आत्म-मंथन का अमृत है कि हमारा जीवन कैसे बदला – कैसे उस परिवर्तन ने हमारे विचारों को, भावों को, कर्मों को प्रभावित किया और फिर कैसे इस सब प्रभाव को हमारी सोच ने, हमारे दृष्टिकोण को, आधार बना कर – आनन्द की अभिव्यक्ति के रूप ढ़ाला।
प्रयास | अभ्यास | विश्वास
हमारे जीवन में कोई भी घटना, अच्छी या कठिन, घटती है तो उस के पीछे जरूर एक सन्देश, एक सीख छुपी होती है। अपनी सोच और धायण को सिर्फ केंद्रित करना है उस नई सीख पर, नए अनुभव द्वारा अपने विकास पर, और कैसे हम उस नई जानकारी को अपने जीवन-लक्ष्य के लिए प्रयोग, उपयोग कर सकते है।
प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव किया जा सकता है। अपने जीवन लक्ष्य को जाने, पहचाने और उसे प्राप्त करने के लिए अपने क्षमताओं का विकास करें।
क्या आप अपने को जानते हैं – पहचानते हैं ?
(more…)“व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सफलता या असफलता का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण कारक या निर्धारक हमारी आत्म-जागरूकता (सेल्फ़-अवेयरनेस) का स्तर है, जिस पर अभी तक कम से कम ध्यान दिया गया है ”
गोपीकृष्ण बाली
जिज्ञासा
जीवन की मुश्किलें, उन मुश्किलों की जटीलता में पहले उलझना, फिर उस उलझन को सुलझाना, और इसी तरह के अनंत चक्रों से रूबरू हो कर कब, कैसे धीरे-धीरे हमारे शरीर, मन, मष्तिक और आत्मा को तैयार किया जाता है – कभी ध्यान गया है इस बात पर। बड़ा विचित्र बात है पर जब भी समय मिले तो सोचना जरूर।
आत्म – निर्भरता
कुछ कहानियाँ ऐसी होती है जो जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों का ज़वाब बहुत सरलता के साथ दे देती है तो कुछ कहानियाँ ऐसी होती है जिस को सुना तो बहुत पहले होता है पर समझ देर से आती है। आज की कहानी बचपन में अपनी माँ से सुनी थी, कई बार अपनी ट्रेनिंग में भी इस्तेमाल किया – अपनी बात को समझने के लिए, पर शायद अपने आप को नहीं समझाया कि यह सीख अपने पर भी लागू होती है। प्रस्तुत है वह कहानी जो आज मेरे लिए बहुत प्रासंगिक हो गई है।
परम आनन्द
पूर्ण आनंद | परम सुख; यानि पूर्ण संतोष और पूर्ण सुख की स्थिति में पहुँचाना, बाकी सब से बेखबर हमारी अतुलित आनंदित अवस्था
~ गोपी कृष्ण बाली ~