मेरे प्रिय साथियों , नमस्ते !
आज का दिन बहुत शुभ है और आनन्द से भरपूर भी। शुभ इसलिए है कि आज से आनन्द अनुभव श्रृंखला ‘ प्रयास | अभ्यास | विश्वास ‘ की शुरुआत हो रही है – मेरे जीवन के अनुभवों को आप सब के साथ साँझा करने का प्रारम्भ – शुभारम्भ। और यह अवसर आनन्द से भरा इसलिए है क्योंकि आज इस नए रूप में आप सब के साथ जुड़ने का अवसर मिल रहा है।
आनन्द अनुभव श्रृंखला हमारे जीवन में प्रकट हुए अनुभवों को, उन परिस्तिथियों को, उन व्यक्तियों को, जिन की वज़ह से हमारे जीवन में बदलाव आया – और हम बदले, उस का सार है। यह उस आत्म-मंथन का अमृत है कि हमारा जीवन कैसे बदला – कैसे उस परिवर्तन ने हमारे विचारों को, भावों को, कर्मों को प्रभावित किया और फिर कैसे इस सब प्रभाव को हमारी सोच ने, हमारे दृष्टिकोण को, आधार बना कर – आनन्द की अभिव्यक्ति के रूप ढ़ाला। इस पूरी प्रक्रिया के महत्वपूर्ण बिन्दुओं का सार, कहानी द्वारा, संवाद द्वारा, या कुछ छोटे -छोटे वाक्यांश द्वारा, चर्चा का विषय-बिन्दु बना कर समझना और फिर उसे समझानें का यह एक प्रयास मात्र है।
अगर आप ने मेरे इस प्रयास के सन्दर्भ में हुए और साँझा किये गए कार्यों, और उस के पीछे की मंशा को और उस सतत अभ्यास को जान लिया, तब विश्वास करना, वो भी पूर्णता के साथ – सच की और स्व:अनुभव की कसौटी पर परखने के बाद – बेहद सरल और स्वाभाविक हो जायेगा।
आप ने अभी पढ़ा ( या सुना ) कि जीवन का बदलाव या जीवन का बदलना एक सहज स्वाभाविक प्रक्रिया है और हम अपने जीवन में प्रकट हुई घटनाओं को कैसे देखते है, हमारा दृष्टिकोण क्या है? इस सब पर निर्भर करता है।
जैसे एक चिंगारी से उत्पन्न ऊर्जा ( आग ) जहाँ सूखी लकड़ियों को जला सकती है, या लोहे को भी पिघला सकती है, वही ऊर्जा अगर सही मात्रा में, एक प्रक्रिया के तहत प्रयोग की जाये तो वह मिट्टी को भी पका कर, या सोने तो तपा कर नया रूप और अधिक गुणवत्ता प्रदान करती है। ठीक उसी प्रकार से हमारे विचार, हमारे भाव, हमारे कर्म या तो हमें जला कर, भस्म कर अवनति ( पतन ) के गढ़े में गिरा सकते हैं या विकास की बुलन्दियों को छूते हुए उन्नति के शिखर पर पहुँचा सकते है। सब कुछ निर्भर करता है हमारे दृष्टिकोण पर, हमारी सोच की दिशा पर, हमारे भावों की गहराईयों पर, हमारी मानसिकता पर।
सब से पहले यह जाने की हम जी ही क्योँ रहे हैं। जी हाँ, बहुत से लोगों को तो अभी तक यह पता ही नहीं कि वह अपनी ज़िन्दगी में जो कुछ भी कर रहें है उन सब के पीछे उन का क्या मक़सद है। क्योँ वह रात – दिन भाग रहें हैं, क्या पाना चाहते है और क्योँ ? इसलिए सब से पहले यह पक्का करो कि मेरे जीवन का क्या लक्ष्य है? और क्योँ?
कभी – कभी ऐसा भी होता है कि हम बिना सोचे समझें किसी दूसरे के लिए, उस की उम्मीदों को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। मेरी विनम्र प्रार्थना है कि कृपया कर के आज कुछ समय अपने लिए निकल लेना और इस बात पर गौर करना – ज्यादा नहीं सिर्फ ९-१० मिनट अपने जीवन लक्ष्य को जानने – पहचानने और समझने के लिए।
अपना जीवन लक्ष्य को जान लिया, समझ लिया और फिर अगर पक्का यक़ीन हो गया कि हाँ अब बस यही चाहिए और कुछ नहीं या सब कुछ बाद मे पहले इसे तो पा लूँ – बाकी सब बाद में भी मिल सकते हैं। आज पहला कदम उठाईये और सुनिश्चित कीजिये कि अब व्यर्थ की जिंदगी नहीं जीनी, आनन्दित जीवन जीना है, अपने जीवन लक्ष्य को प्रकट कर के, प्रयास -अभ्यास और विश्वास द्वारा प्राप्त भी करना है।
साथियों, अगर जीवन लक्ष्य तो सुनिश्चित कर लिया फिर सब संभव कुछ पाना है, क्योंकि हम ने अपने आप को – अपने मन को, अपने भाव को जान कर – अपने कर्म के पीछे की मंशा को जान कर और अपने जीवन लक्ष्य के प्रति अपने उद्देश्य को ठोक बजा कर पक्का किया है – अब सब कुछ करने के लिए एक नई उमंग – नया हौंसला, एक नया विश्वास है जो हमें न सिर्फ रोज़ सुबह उठने के लिए प्रेरित करेगा बल्कि रात को भी अगले दिन के लिए तैयार रहने का संकल्प ले कर सोने देगा।
जी हाँ ! संकल्प लेना अति – आवश्यक है। ज्यादतर होता है कि हम कुछ सोचते है, और उसे पूरा करने का मन भी बना लेते है परन्तु कुछ समय बाद एक नए काम को, या कुछ अलग प्रोजेक्ट को ले कर अपना समय उस पर लगा देते है, मैंने भी अपने जीवन में कई बार ऐसा किया – अपने जीवन लक्ष्य को समझा नहीं और कभी पैसों के लिए, कभी मान-प्रतिष्ठा के लिए, कभी ऊँचे पद की लालच या आसान जीवन जीने की चाह – अनेकों (मन के उत्पन्न) कारणों की वजह से या फिर कभी पारिवारिक परिस्थितियों के कारणवश अपने आप को – अपने लक्ष्य को विराम दे दिया – यह मान कर कि इसे बाद में भी पूरा किया जा सकता है – परिणाम यह निकला की मात्रा कठपुतली की तरह जिंदगी गुजरती गई और सब कुछ – जी हाँ – सब कुछ पाने के बाद भी ( सामाजिक स्तर पर ) वास्तविकता में कुछ भी नहीं पाया।
हाँ ! सीखा बहुत। और अब जब मैंने अपने जीवन लक्ष्य को पूर्णता से समझ लिया है, जान कर – पहचान कर माना है, और अब संकल्प लिया है कि अब और देरी नहीं करनी – सिर्फ और सिर्फ अपना लक्ष्य को प्राप्त करना है और इस पूरी प्रक्रिया को आनंदित भाव से जीना है – यही है अद्भुत जीवन के लिए मेरा पहला कदम।
निरन्तर प्रयास करिये – हम सब मिल कर भी कर सकते है, क्योंकि जीवन-पथ में फिर प्रलोभन मिलेंगे, फिर मन अपनी छल में उलझायेगा, समाज के चक्रव्यूह में अनेकों मोड़ आएंगे जहाँ दिल बेचैन होगा, फिसलेगा, पर अगर अपने जीवन-लक्ष्य पर अपना विश्वास अड़िग रहा तो सब से बच-बचा कर – कन्नी काट कर हम अपनी मंजिल पर पहुँच जायेंगे।
मुझे तो पूर्ण विश्वास है – क्या आप भी तैयार हैं ?
अति उत्तम । प्रयास अभ्यास विश्वास !!
अति सुंदर अभिव्यक्ति