स्वतंत्रता की सही परिभाषा क्या है?
हमारे लिए स्वतंत्रता का अर्थ हमारे द्वारा चुनी गई सरकार के और हमारे देश के संविधान के अधीन रहने की और निति-संगत मार्ग से जीविका -जीवन जीने की स्वतंत्रता हो सकता है।
लेकिन क्या यही आजादी की सही परिभाषा है?
हाँ, यह राजनीतिक स्वतंत्रता की परिभाषा हो सकती है। लेकिन कई अन्य प्रकार की स्वतंत्रता भी हो सकती है जैसे कि मानसिक, व्यावहारिक, आर्थिक, भावनात्मक और मौलिक / नैतिक या आध्यात्मिक स्वतंत्रता।
क्या हम इतने वर्षों की राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भी मूलरूप से नैतिक और आध्यात्मिक रूप से स्वतंत्र हैं? आप को नहीं लगता कि हमें केवल बाहरी स्वतंत्रता की तुलना में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने में अधिक आनंद लेना चाहिए। हम सभी मूल रूप से एक व्यवहार रूपी सामाजिक बंधन में बंधे हैं और हम चाहकर भी अपने आप को इस बंधन से मुक्त नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हम जन्म से ही ऐसा देखते हैं और यह हमारे व्यक्तित्व के हर पहलू में मौजूद होता है – कुछ आंशिक रूप में या कभी-कभी कट्टर रूप में। यह सामाजिक मानसिकता हमें बताती है कि हमें या हर मनुष्य को उस सामाजिक रूपरेखा की सहमति और संगति के लिए बनाया – पढ़ाया और तैयार किया गया । एक समय ऐसा भी था जब मनुष्य स्वयं के साथ शुद्ध आनंदमय और मधुर संगति में था और तब उस पर किसी भी प्रकार की मानसिकता का प्रभाव नहीं था।
क्या आप पूर्ण स्वतंत्र हैं या अभी भी किसी प्रकार के बंधन में बंधे है ?
हम कहने मात्र को अपने को आज़ाद कह सकते है लेकिन हमारे आंतरिक बंधन की वज़ह से सच्ची आज़ादी या पूर्ण स्वतंत्रता या उस शुद्ध स्वतंत्रता को खो दिया है और अपने आप को आधुनिक मानसिकता, शारीरिक, भावनातमक, वैचारिक और नई टेक्नोलॉजी की दासता के अधीन कर लिया है। इसी वजह से सब से पहले इस सृष्टि के – जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को त्यागकर दूसरों की विचारधारा का अनुसरण करना चुना, और परिणामस्वरूप, लगभग पूरी मानव जाति सच्ची स्वतंत्रता – सत्य की संगति से विमुख हो गई और अब असत्य के, भौतिक छलावे के अधीन है।
इस सब का प्रत्यक्ष परिणाम न केवल शारीरिक और मानसिक बंधन है बल्कि आध्यात्मिक और अनन्त बंधन भी है। यही कारण है कि आज मनुष्य आध्यात्मिक रूप से मर चुका है और सत्य की – आनंद की अनुभूति से दूर है।
फिर सच्ची आजादी का रास्ता क्या है ?
व्यक्ति का सत्य की समझ के रूप में अपने जीवन के लक्ष्य को समझना – उस को पाने का प्रयास करना, उस का आभास करना और अभ्यास द्वारा अनुभव को स्वयं परख कर उस पर विश्वास करता है वह परतंत्र न हो कर – स्वयम को पूर्ण स्वतंत्र हो कर अनन्त आनंदित जीवन पा जाता है। जो लोग पूर्ण स्वतंत्र को समझ पाते हैं, वे अपने जीवन में सच्ची और पूर्ण स्वतंत्रता को प्राप्त कर सकते हैं और परम जीवन आनंद को अनुभव कर सकते हैं।
क्या आप ने भी एक सच्ची आजादी का अनुभव किया है? क्या आप सच्ची स्वतंत्रता के लिए तैयार है?