पिछले लेख में हम ने यह जाना था कि हम अपने छोटे-छोटे लक्ष्यों में से किस लक्ष्य को पहले पूरा करना चाहते है ? क्या बात महत्व रखती है? और क्यों ?
जैसे यहाँ प्राथमिकता निर्धारण करते हुए हमें फिर चुनाव करना होता है कि पहले क्या करें, और बाद में क्या करना है और हमारे इसी छोटे-छोटे चुनावों पर हमारी जिन्दगी का रुख तय होता है, हमारे विचारों को दिशा मिलती है, और अंततः हमारे जीवन को नया आयाम मिलता है। इसलिए आज हम जानेगे की इस चुनाव को कैसे करें।
चलिए उदाहरण के साथ समझते है। अभी चुनावों का नया दौर शुरू हो गया है और भी अगर उस प्रदेश में है तो अपना मन बना रहें होंगे की किस उम्मीदवार को या किस पार्टी को अपना मत देंगे। जब कुछ लोगों से बातचीत हुई तो पता चला कि कुछ लोग सिर्फ यह देखते है की कौन सा उम्मीदवार उन के नजदीक है, एक ही जात-बिरादरी का है और जिस के साथ उन का कनेक्शन हो सकता है, समय पड़ने पर काम करवाया जा सकता है। कुछ लोगो का मानना है कि पार्टी को ध्यान में रखो क्योंकि हम तो सदियों से इसी विशेष पार्टी के साथ रहें है – उम्मीदवार भले कोई भी हो।
कभी समय निकालकर सोचना और खुद को समझाना कि इन्ही छोटे-छोटे फायदों को अपने निर्णय के लिए आधार बना कर क्षीण हम बड़ी गलती तो नहीं कर रहें है। इन्हीं सब बातों की वजह से पार्टी भी ऐसे प्रत्याक्षी को अपना टिकट देती है जो चुनावी वोट-बैंक के अनुसार उपयुक्त होता है।
गोपी कृष्ण बाली
अगर हम सब लोग अपने मत को उपरोक्त बातों के बदले हर प्रत्याक्षी के अनुभव, ज्ञान, क्षमता और कार्यशैली को ध्यान में रख कर वोट देंगे तो बहुत संभव है वह ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाए गा और न सिर्फ अपने फायदे के लिए या कुछ चुने वर्ग को सही या गलत तरीके से लाभ देगा अपितु अपने क्षेत्र के लिए , अपने वोटरों के लिए, अपने प्रदेश के लिए और सब से ज्यादा जरूरी है अपने देश के हित के लिए काम करेंगा।
वोट आप का है – चुनाव आप ने ही करना है , परन्तु आप ने किस को केन्द्र में रखा – अपने स्वयं के हित को या अपने प्रदेश या देश के हित को। अगर आप को लगता है कि समय आ गया है जब हम को अपनी निजी फायदे वाली जिंदगी की सोच से ऊपर उठ कर अपने समाज के लिए अपने देश के लिए भी सोचना है, कुछ योगदान देना है तो अपनी सोच का केंद्र – बिंदु बदले। उस उम्मीदवार को चुने जो सक्षम हो, कर्मठ – कर्तव्य परायण हो, प्रतिभा का धनी हो , सुशिक्षित हो, सही मायनों में एक सच्चा लीडर हो, जो सब का भला सोचे, देश के विकास के लिए अग्रसर हो, और प्रगतिशाली मानसिकता को अपनाये न की पुरानी रूढ़िवादी लूट-खसोट वाली वाली मानसिकता को बढ़ावा दे।
ठीक इसी प्रकार अगर हम भी अपने जीवन में पुरानी सोच को बदल कर वर्ष-२०२२ के लक्ष्यों का चुनाव एक नई प्रगतिशील सोच के साथ, आनन्दित जीवन के लिए, सब को साथ ले कर लेकर सब के हितों को ध्यान में रख कर, यहाँ तक की पर्यावरण और उस में सम्मिलित सभी तत्वों को, पशु -पक्षियों को, प्रकृति के अनुरूप करेंगे तो मुझे पक्का यकीन है हम सब एक नए भारत की, एक नई पीढ़ी की, एक नए पृथ्वी-लक्ष्य की और अपना हक़ अपना योगदान देते हुए अपने जीवन के लक्ष्य तो सरलता से, सहजता से प्राप्त करलेंगे।
हमारे द्वारा सोचा गया हर विचार, हमारे द्वारा किया गया हर काम, और हमारे द्वारा अनुभव किया गया हर भाव , प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न सिर्फ हमें और हमारे जीवन की दशा को बल्कि हमारे समाज को, हमारे प्रदेश को, हमारे देश के विकास को, उस की दशा और दिशा को भी प्रभावित करता है।
हमारे आज के चुनाव से, आज के चुने छोटे-छोटे वर्ष २०२२ के लक्ष्यों से हमारे जीवन लक्ष्य को नया आयाम मिलता है, एक नया प्रभाव पड़ता है और सब एकसाथ जुड़ कर हमें राष्ट्र निर्माण के लिए सहायक बनाते है। एक सक्ष्म राष्ट्र एक विश्व-गुरु बन कर पूरी दुनियाँ को एक नई विचारधारा के साथ जोड़ सकता है और फिर सब मिलकर एक नया पृथ्वी-लक्ष्य का संकल्प ले सकते है।
इस लिए ध्यान देना अपने हर विचार पर, अपने हर भाव पर, अपने हर करने के कारण पर, उस को करने की मंशा पर, और फिर चुनाव करना अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने प्रदेश के लिए , अपने देश के लिए और अपनी पृथ्वी के लिए।
जैसे हर एक पत्थर जो जलाशय के पानी पर उछाला गया – कुछ तरंगे पैदा करता है जो कहीं न कहीं पूरे जलाशय को – पानी की हर बूँद को – प्रभावित करता है ठीक उसी तरह हमारे विचार, भाव, कर्म और उन से जुड़े हमारे लक्ष्य पूरी मानव श्रृंखला को और समस्त चेतन जीवों को (पशु, पक्षी और अन्य प्राणियों को) और अचेतन वस्तुओं को भी प्रभावित करते है।
इसलिए हम सब की जिम्मेदारी है हम सब के सम्मिलित विकास की, सब को आनंद-यात्रा में आगे ले जाने की, और हिल-मिल कर आनन्दित जीवन जीने की।
आप का सहायक, सहयोगी और सहयात्री
गोपी कृष्ण बाली