समृद्धि संकल्प | प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव

जीवन लक्ष्य – प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव

प्रिय साथियों नमस्ते!

आज इस साल का आखिरी रविवार है और बहुत जल्दी ही हम सब वर्ष 2022 में प्रवेश करने जा रहें है। हम सब उत्साहित तो जरूर होंगे की कैसा होगा यह नया साल 2022.

जैसे हम सब जानते है की बदलाव जीवन का एक अभिन्न अंग है और यही बदलाव सब के जीवन को, कभी सहज – सरल रूप से तो कभी कुछ कठोर बन कर भी प्रभावित करता है। कुछ सुखद अनुभव हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है तो कुछ मुश्किल लम्हेँ हमें ठुठहरने को, रुकने को विवश कर देते है।

पर जीवन चलने का नाम है। हिन्दी फ़िल्म ‘शोर’ के एक गाने ने इसे अभूतपूवष तरीके से समझा भी दिया है :- “जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-ओ-शाम, जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-ओ-शाम,
के रस्ता कट जाएगा मितरा, के बादल छट जाएगा मितरा, के दुःख से झुकना ना मितरा, के एक पल रुकना ना मितरा, जीवन चलने का नाम….”

जब हम अपने मन को अपने सकारात्मक विचारों से प्रफुल्लित बना देते है और वही मन – नमन हो कर हमारे अमन के लिए हमारा सहायक बन कर ककम करने लगता है। जैसे ही मन की लगाम हमारे दिल के द्वारा नियंत्रित की जाती है तो हम अपने स्व:भाव को सहजता से, सरलता से अपने जीवन – लक्ष्य के लिए उपयोगी सत्कर्मों के साथ जोड़ कर त्रिगुणी बन जाते है।

पिछले लेखों को पढ़ कर कुछ साथियों ने प्रतिक्रिया दी कि यह सब कहना आसान है पर जब भी हम लोग मुश्किलों का आमना सामना करना होता है यह सब ज्ञान – ध्यान धरा रह जाता है और हम फिर अपनी पुरानी सोच पर जा कर – अपने पुराने पैटर्न्स को दोहराने लगते है।

बिलकुल सही बात है – इसी लिए तो यह श्रंखला का नाम प्रयास | अभ्यास | विश्वास है। इसी बात को समझना है और संकल्प ले कर पुराने पैटर्न्स को बदलना है और नए आनंदित जीवन के लिए तैयार होना है।

समृद्धि संकल्प  | जीवन लक्ष्य - प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव
समृद्धि संकल्प | जीवन लक्ष्य – प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव

मुझे बचपन में पतंग उड़ाने का बहुत शौक था। स्कूल से वापिस आते है चरखी-पतंग ली और पहुँच गए अपनी छत पर। जब तक अपना ख़ुद का सामान नहीं था तब अपने गली-मोहल्ले के बड़े बच्चों के यहाँ जा कर उन को देखने में ही मज़ा मिलता था। उन को कन्नी देना, उन की चरखी पकड़ना और मांजा लपेटना जैसे काम बहुत अच्छे लगते थे।

जब पतंग उड़ानी शुरू की और पेच लगाने का साहस आया तो असली सीख मिली। तब पता चला कि हमेशा ढ़ील देने से ही पतंग ऊपर नहीं उठती, उसे ऊपर ले जाने के लिए हमें सही समय पर , हवा के विपरीत दिशा में डोर को खींचना होता है। ज्यादा ढ़ील देने से तो कभी कभी पड़ोसी पतंगबाज़ हमारे माँजे को ही लूट लेते थे।

यह भी सीखा की पेंच लगने पर हमेशा ढ़ील देने पर जरूरी नहीं की हम दूसरे की पतंग को काट दें। कभी – कभी खेंच मार के भी – नीचे से ऊपर की तरफ़, हम जीत सकते है। यह भी सीखा कि जब पतंग और हवा का समन्वय बन गया फिर जितनी मर्जी ढील दे दो , पतंग अपनी ऊपर ही जाएगी।

अब जब जीवन को कार्यक्षेत्र में, अपने निजी जीवन में , रिश्तों में जा के अनुभव किया कि पतंग उड़ाने के सभी छोटी – छोटी सीख असली जीवन में भी बहुत सटीक उतरती है। आप को क्या लगता है ? सच्ची बात है कि नहीं?

अगर हम सब की बात मानते रहते है बिना कुछ सोचे – समझे (यानी ढ़ील देना) तो ज्यादातर लोग हमें अपने काम के लिए इस्तेमाल करते है और हम अनजाने में अपने जीवन-लक्ष्य से दूर हो जाते है। और जब हम हर परिस्थिति का विवेचन कर, प्रश्न पूछ कर, (यानी डोर को खींच कर ) संभल कर आगे बढ़ते है तो अपने जीवन – लक्ष्य को सहजता से पा लेते है।

बचपन में खेल-खेल में ही बहुत कुछ सीखा और आप सब से भी बहुत कुछ सीखा है, बहुत कुछ जाना है, पर दिल है की मानता ही नहीं। और यह ‘दिल मांगे मोर’ 🙂

समय आ गया है जब हमें – सब को मिल कर, अपना-अपना कम से कम एक अनुभव या एक सीख जो हम ने वर्ष 2021 में पायी और जिसे हम आनन्द अनुभव के रूप में अगले वर्ष में ले जाना चाहते है को सब के साथ साँझा करें।

आप की सीख हो सकता है हमारे लिए भी उपयोगी सिद्ध हो और हमारी आनंद यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हो। आप सब की एक-एक सीख हमें अगले साल के लिए उत्साहित तो करेगी ही परन्तु अगर हम ने उस सीख को अपना लिया – कुछ नया सीख लिया तो हम सबको, हमारी हिम्मत को बहुत मजबूत भी कर देगी।

समय आ गया है वर्ष २०२२ के लिए – अपने आनन्दित जीवन के लिए पुनः संकल्प लेने का | समृद्धि संकल्प । अगले लेख में Resolution 2022 (रेसोलुशन २०२२) के लिए जानेगे और विचार-विमर्श करेंगे और फिर एक बार अद्भुत आनन्द को एकसार करने का प्रयास करेंगे।

धन्यवाद सहित आप का सहयोगी और सहयात्री
गोपीकृष्ण बाली

The Source

The Source (Founder - CEO)
CircleX.in | Centre of Excellence for
Holistic Well-Being in Life & Work

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