समृद्धि संकल्प | प्रयास | अभ्यास | विश्वास द्वारा आनन्द अनुभव

प्रिय साथियों, नमस्ते !

आशा करता हूँ की आप सब स्वस्थ शरीर, आनंदित हृदय और प्रसन्न चित (मन) के साथ अपनी जीवन – यात्रा में सफलता के साथ अग्रसर होंगे। यह भी उम्मीद है कि आप सब ने थोड़ा बहुत समय निकाला होगा अपने जीवन-लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए। कुछ मनन-चिन्तन भी जरूर किया होगा की कहाँ है आज हम और कहाँ पहुँचना है इस वर्ष के अंत तक। सच बताये किया या नहीं ?

अगर वाकई में कुछ काम किया होगा तो मन में बहुत प्रश्न भी उठें होंगे। या यह भी हो सकता है कि मन में दुविधा उठ खड़ी हुई हो कि आखिर यह जीवन -लक्ष्य है क्या ? और क्यों जरूरी है इस को जानना या अपने लिए स्पष्ट होकर निश्चित करना? और यह वर्ष-लक्ष्य क्या जीवन-लक्ष्य के बाद लिखें या पहले ? क्या यह दोनों एक ही है या अलग-अलग हैं? क्या दोनों का होना जरूरी है या सिर्फ एक से काम चल जायेगा?

कुछ तो यह भी सोच रहें होंगे की ‘कर लो बात’ अभी एक पर तो काम किया नहीं और फिर ये ‘राष्ट्र-लक्ष्य’ कहाँ से आ गया? और चलो मान भी ले की हमें राष्ट्र के प्रति सजग हो कर अपना योगदान देना है पर बाबा रे बाबा यह ‘पृथ्वी-लक्ष्य’ क्या बला है? सब के बीच क्या ताल-मेल है? कुछ तो गड़बड़ है? 🙂

साथियों ! अगर यह सब चल रहा है आप के मन-मष्तिक में तो समझ लीजिये काम शुरू हो चुका है और मन अपने को बचने के लिए आप को भ्रमित कर रहा है या उलटी टोपी पहना रहा है। अब चुनाव आप का है – क्या लक्ष्यों को निर्धारित करने का प्रयास – अभ्यास निरन्तरता से चलता रहेगा या जैसे हम अपने देश, प्रदेश में चुनावों के समय करते है – मन की सोच का अनुसरण – की मेरे को क्या फ़र्क़ पड़ता है – कोई भी पार्टी या उम्मीदवार जीते या हारें मुझे तो एक छुट्टी मिल गई – मौज करते है। और फिर हम अगले कुछ वर्षों तक अपना और देश का, अर्थव्यवस्था का , सामाजिक जीवन के उतार-चढ़ाव के मूक दर्शक बन कर रह जाते है।

ठीक इसी तरह अगर हम ने अपने वर्ष २०२२, जीवन, राष्ट्र और पृथ्वी-लक्ष्य को भी अभी ध्यान नहीं दिया तो हो सकता है हम अपने असली उद्देश्य से भटक जाएँ या कहीं मुश्किलों में अटक जाएँ या फिर कोई प्रलोभन मिलने पर आसान राह को चुन, अपने जीवन के लक्ष्य को भूल कर किसी और के इशारों पर , किसी और दिशा पर निकल पड़ें। सब कुछ संभव है – अगर हम आज नहीं समझे तो कहीं फिर देर न हो जाये !!

गोपी कृष्ण बाली

सही लक्ष्यों का चुनाव कैसे करें?

हमारे समय अनुसार हमारे किये गए चुनाव ही हमारे जीवन की दिशा और दशा का निर्धारण करते है। जैसे हमें अपने अपने क्षेत्र के, जिले के, प्रदेश के और देश के नेता का चुनाव करना होता है अपने देश को प्रगति पथ पर अग्रसर करने के लिए ठीक उसी तरह हमें अपने जीवन को आनंद-पथ पर अग्रसर करने के लिए अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने कार्य-स्थल या संस्थान के लिए और अपने समाज के लिए, अपने सहयोगियों – अपने सहयात्रियों के लक्ष्यों के साथ ताल-मेल रख कर, अपने वर्ष-लक्ष्य, अपने जीवन लक्ष्य और अपने राष्ट्र लक्ष्य को ध्यान में रख कर अपने पृथ्वी-लक्ष्य के साथ ताल-मेल बिठाना होगा।

पहला संकल्प यह लेना होगा कि मेरे द्वारा निर्धारित छोटे-छोटे लक्ष्य (वर्ष-लक्ष्य) के साथ कोई समझौता नहीं करना। एक बार जब सोच लिया तो चाहे कुछ भी हो जाये उस लक्ष्य को प्राप्त करना है। जब हम अपने छोटे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपना समस्त ध्यान और चेतना को केंद्रित करेंगे तो हम अपने पैटर्न्स (patterns) को सजग हो कर देखेंगे और पुरानी अनुपयोगी आदतों को छोड़ कर नई उपयोगी आदतों का निर्माण करेंगे जो हमें आगे आने वाले समय में हमारे जीवन-लक्ष्य और पृथ्वी-लक्ष्य को पाने के लिए सहायक होंगी।

अपने जीवन-लक्ष्य के लिए हकदार बने | समृद्ध वर्ष – समृद्धि संकल्प के सूत्र

सब से पहले अपने जीवन-लक्ष्य को ध्यान में रख कर अपने छोटे-छोटे वर्ष-लक्ष्यों की सूची बनाना, उस को क्रमबृद्ध करना और उन की प्राथमिकता को तय करना बेहद जरूरी है। एक बात हमेशा याद रखना “आप अपने जीवन-लक्ष्य की पाना चाहते है तो अपने को उस के लिए तैयार करना, उस के लायक बनना होगा या यह कहें की उस का लिए हकदार बनना होगा।

वर्ष-लक्ष्यों की सूची बना कर उन की प्राथमिकता को तय करना | समृद्ध वर्ष – समृद्धि संकल्प के सूत्र

ज्यादातर लोग सोचते है कि छोटी बातें या छोटे काम तो जैसे मर्जी हो कर लो इसलिए वो इन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, लेकिन अनुभव बताता है की जब हम इन कामों को बिना ध्यान दिए करते है तो धीरे-धीरे हमारे पैटर्न्स पक जाते है, हमारी आदत बन जाती है – किसी भी चीज़ पर ज्यादा ध्यान न देने की आदत, और ऐसा लगातार होने पर वह आदत हमारे व्यवहार में शामिल हो जाती है, हमारे व्यक्तित्व का एक अटूट हिस्सा बन जाती है। फिर जब समय आता है, कुछ बड़े काम करने का, तो हम अपनी आदत के गुलाम होने की वज़ह से वहां पर भी अपना अखंडित ध्यान नहीं दे पाते और फिर अपने लक्ष्य से चूक जातें है।

इसलिए सब से ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी आत्म-शक्ति को अपने सरल और सजग प्रयास और अभ्यास से केंद्रित करना सीखें और हम चाहे कोई भी काम कर रहें हो, पूरी एकाग्रता और तन्मयता के साथ करें।

गोपी कृष्ण बाली

जब हम ऐसे निर्णय का चुनाव कर और फिर उस चुनाव के लिए संकल्प ले कर अपना जीवन जीते है तो हम एक उत्कर्ष जीवन के लिए अग्रसर होते है। यह एक आनन्दित जीवन की राह है, एक संकल्प सूत्र है कि “हम जो कुछ भी करते हैं उसमें लगातार परिपूर्ण होने का प्रयास करते हैं। हम उत्कृष्टता की तलाश करते हैं, और अंतः उसे (लक्ष्य को) अर्जित भी कर लेते हैं।”

अब यहाँ पर यह बात महत्व रखती है की हम अपने छोटे-छोटे लक्ष्यों में से किस लक्ष्य को पहले पूरा करना चाहते है और इसलिए हमारी कार्यों की सूची और उस में अंकित की गई उन कार्यों की प्राथमिकता विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होती है। यहाँ प्राथमिकता निर्धारण करते हुए हमें फिर चुनाव करना होता है कि पहले क्या करें, और बाद में क्या करना है। हमारे इसी छोटे-छोटे चुनावों पर हमारी जिन्दगी का रुख तय होता है, हमारे विचारों को दिशा मिलती है, और अंततः हमारे जीवन को नया आयाम मिलता है।

इसलिए हमारे द्वारा सोचा गया हर विचार, हमारे द्वारा किया गया हर काम, और हमारे द्वारा अनुभव किया गया हर भाव , प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे जीवन की दशा को प्रभावित करता है।

गोपी कृष्ण बाली

शेष अगले लेख में, तब तक आप अपने अपने जीवन लक्ष्य तो पक्का करें, और अपनी वर्ष-लक्ष्य को ध्यान में रख कर अपनी संकल्प सूची भी बना लें।

इस अनुभव आनन्द भरी यात्रा में आप का सहयोगी और सहयात्री
गोपी कृष्ण बाली

The Source

The Source (Founder - CEO)
CircleX.in | Centre of Excellence for
Holistic Well-Being in Life & Work

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